हाल ही में अमेरिका में गर्भपात कानून को लेकर एक बड़ा बदलाव हुआ है। अब वहां कि महिलाओं के पास गर्भपात करने या न करने का अधिकार नहीं है, जबकि पहले वहां कि महिलाएं स्वेच्छा से गर्भपात कर सकने या न करने के लिए स्वतंत्र थीं।

ऐसे में यह भी समझ लेना चाहिए कि भारत में गर्भपात को लेकर क्या कानून है। वैसे तो गर्भपात करने के लिए हमारे देश में कोई इजाजत नहीं लेता, लेकिन भारत में यह फैसला लेने का अधिकार डॉक्टर्स के पास होता है। ज़्यादातर लोग गर्भ पात करने के लिए चिकित्सक की ही सलाह लेते हैं।

क्या आपको पता है कि भारत में गर्भपात में होने वाली गड़बड़ियों की वजह से हर दो घंटे में एक महिला की मृत्यु हो जाती है। ऐसा तब है, जब भारत में गर्भपात कानूनी तौर पर वैध है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी के मुताबिक गर्भावस्था की दूसरी तिमाही तक गर्भपात करना पूरी तरह से लीगल है। हालांकि, भारत में महिलाओं को यह अधिकार खास तौर पर जनसंख्या को नियंत्रित करने के मकसद से दिया गया है। इस वजह से हमारे देश में गर्भपात करने या न करने का आखिरी फैसला डॉक्टर्स के हाथ में होता है। आपको बता दें कि हाल ही में अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के अधिकार को खत्म कर दिया है। यानी अब वहां कि महिलाएं गर्भपात करने या न करने का फैसला खुद नहीं ले सकती।

भारत में गर्भपात को लेकर लोगों को यह आजादी इसलिए भी मिली हुई है , ताकि जनसंख्या पर नियंत्रण रखा जा सके।