कोरोना महामारी काल में भारत में हर किसी के जेब या घर में एक ही दवा देखने को मिलती थी… DOLO 650 डोलो 650 ने कोरोना काल में ब्रिकी के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे…डॉक्टर की सलाह पर लोगों ने बड़े पैमाने पर DOLO 650 को खाना शुरु कर दिया था… ये एक तरह से पसंदीदा स्नेक्स बन चुका था…चाहें बुखार हो, या सिर में दर्द, शरीर में कमजोरी हो, या फिर धकान महसूस हो सभी भारतीयों की पहली पसंद DOLO 650 बन चुकी थी।

आखिर डॉक्टर कोरोना होने पर डोलो 650 ही क्यों लिखते थे।
दरअसल डोलो दवा बनाने वाली कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड ने मरीजों के इलाज कराने के लिए डॉक्टरों को करीब 1000 करोड़ रुपये के उपहार दिए थी… यही वजह है कोरोना काल में सभी डॉक्टरस् ने डोलो650 को ही लिखा।
कोरोना काल में डोलो650 ने की रिकॉर्ड बिक्री
दवाईं की दुकान पर आसानी से मिलने वाली डोलो 650 की कीमत बेहद कम है 15 टैबलेट के एक पत्तें को आप 31 रुपये में खरीद कर खा सकते है। जब साल 2020-21 में कोरोना ने भारत में अपने पैर पसारना शुरु किया तब डोलो कंपनी माइक्रो लैंब्स ने महज एक ही साल में रिकॉर्डतोड़ कमाई कर ली थी। बढ़ती मांग के कारण दवाई की दुकान पर डोलो 650 का मिलना मुश्किल हो गया था। साल 2020 में कोराना महामारी के दौरान भारत में डोलो 650 की करीब 350 करोड़ टैबलेट बिक गई थी। और डोलो कंपनी ने 567 करोड़ रुपये की बिक्री की थी।

डोलो कंपनी के बारें में।
साल 1973 में जीसी सुराना की ओर से दवा कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड की शुरुआत की थी। कंपनी का सालाना टर्नओवर करीब 2,700 करोड़ रुपये रहा है। जिसमें 920 करोड़ रुपये एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी है। कंपनी हर साल करीब 50 देशों में अपनी दवाओं को एक्सपोर्ट करती है। वर्तमान समय में कंपनी में करीब 9200 कर्मचारी है डोलो 650 की बदोलत ही कंपनी ने कोरोना काल में रिकॉर्ड बिक्री की थी। बाजार में क्रोसिन, पैरासिप, कालपोल, सुमो जैसी दूसरी कंपनियां भी है जो बुखार के लिए दवाईयां बनाती है लेकिन ये सभी कंपनियां 500 एमजी फार्मूलेशन का इस्तेमाल करती है जबकि माइक्रो लैब्स लिमिटेड ने 650 एमजी फॉर्मूलेशन को लेकर आई और डोलो650 नाम से इन सभी दूसरी दवाईयों की पीछे छोड़ दिया।

DOLO650 ने कुछ ही समय में लोगों के बीच ट्रेंड करने वाली डोलो आज सुर्खियों में है…
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन ये सच है।
सीबीडीटी के दावें के मुताबिक माइक्रो लैब्स लिमिटेड ने प्रोटक्ट को बढ़ावा देने के लिए गलत हथकंडो को अपनाया था।
इस कंपनी ने DOLO 650 की ब्रिकी को बढ़ाने के लिए डॉक्टरों और मेडिकल प्रोफेशनल्स को गिफ्ट
देने के लिए 1000 करोड़ रुपये खर्च किए है।
साथ ही DOLO कंपनी ने आयकर विभाग को रिसर्च औऱ डेवलपमेंट पर किए गए खर्च का गलत ब्यौरा दिया है।
सीबीडीटी को छापें के दौरान कंपनी की तरफ से 1.20 करोड़ रुपये कैश मिले है जिसका कोई रिकॉर्ड ही नही है और 1.40 करोड़ रुपये के सोने और हीरे बरामद किए गए है।