फिलहाल पूरी दुनिया में लगभग 110 करोड़ लोग सिगरेट पीते हैं। एक समय था जब भारत में सिगरेट सिर्फ रईसों की पॉकेट में ही मिलती थी। लेकिन अब भारत में सिगरेट पीना एक आम बात हो गई है। कुछ समय पहले सिगरेट पीने में यूरोप सबसे आगे था, लेकिन अब चीन में काफी ज़्यादा लोग सिगरेट पी रहे हैं। इसके अलावा, अब भारत में भी बड़ी संख्या में लोग सिगरेट पी रहे हैं। हमारे देश में पिछले 3 दशक में युवा स्मोकर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। इस वक्त जिन देशों में सबसे ज़्यादा सिगरेट पी जाती है उनमें भारत, इंडोनेशिया, युनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका, रशिया, बांग्लादेश, जापान, और फिलिपींस शामिल हैं। स्मोकिंग की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है।

भारत में 10 करोड़ से ज़्यादा लोग सिगरेट का सेवन करते है. जिसमें वयस्कों की संख्या 4 फीसदी और महिलाओ की संख्या 0.6 फीसदी है। सिगरेट में पाए जाने वाले निकोटिन की वजह से लंग्स कैंसर और हार्ट से जुड़ी गंभीर बिमारियां हो सकती है।
क्या सिगरेट से निकोटिन की मात्रा घटना फायदेमंद?
सिगरेट पीने के शुरुआती समय में जब कोई इंसान सिगरेट पीता है तो उसे निकोटिन की कम मात्रा मिलती है लेकिन जैसे जैसे सिगरेट एक शोक से बढ़कर लत में परिवर्तित हो जाती है तब इंसान को सिगरेट पीना अच्छा लगने लगता है जिसकी वजह से उस इंसान की एक सिगरेट पीने से तलब खत्म नही होती, और उस व्यक्ति को ज्यादा निकोटिन लेने का मन करता है। यही वजह है कि धीऱे धीरे वह व्यक्ति चेन स्मोकर बन जाता है।

अगर सिगरेट में निकोटिन की मात्रा कम कर भी दें, तब भी इससे कोई खास फायदा नही होगा… क्योकि कम निकोटिन होने पर वह व्यक्ति अपनी तलब बुझाने के लिए और अधिक सिगरेट पीएगा।

सिगरेट से होने वाले नुकसान की बात करें तो…
सिगरेट में खतरनाक निकोटिन ही नही होता, बल्कि इसमें मिले तंबाकू में 40 से भी कई ज्यादा खतरनाक केमिकल पाए जाते है जिसकी वजह से कैंसर जैसी भयावक बीमारी होती है। साथ ही करीब 4 हजार तरह के ऐसे केमिकल पाए जाते है, जो इंसान के शरीर के कई हिस्सों को भारी नुकसान पहुचा सकते हैं. ऐसे में सिगरेट से निकोटिन की मात्रा को कम करने का, कोई फायदा नही है।