भारत ने नारियल के क्षेत्र में काफी प्रगति की है, भारत नारियल के उत्पादन व उत्पादकता में सबसे आगे है और विश्वस्तर पर तीसरे स्थान पर हैं। नारियल की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 9687 नट है, जो विश्व में सर्वाधिक है।नारियल से बने उत्पाद व उद्योग धीरे धीरे बढ़ रहे है, जिसकी वजह से किसानों को रोजगार मिल रहा हैं।
नारियल की खेती मुनाफे का सौदा
नारियल की खेती में कम मेहनत और कम लागत होने से इससे सालों साल कमाई की जा सकती है. नारियल के पेड़ 80 वर्षों तक हरे-भरे रहते हैं. यानी एक बार लगे नारियल के पेड़ से 80 वर्षों तक कमाई की जा सकती है दुनिया में भारत नारियल के उत्पादन में पहले नंबर पर है देश में करीब 21 राज्यों में नारियल की खेती की जाती है।

इस साल भारत में कितना हुआ नारियल का उत्पादन
वहीं बात नारियल की पैदावार की करें तो… साल 2020-21 के दौरान देश में घरेलू स्तर पर नारियल की पैदावार में अच्छी बढ़त हो सकती है, कृषि मंत्रालय की ओर से साल 2020-21 के लिए बागवानी फसलों के लिए जारी तीसरे आंकलन के अनुसार, साल 2020-21 के दौरान नारियल की पैदावार 1 करोड़ 45 लाख टन के पार जा सकती है, जो विश्व का 34 प्रतिशत है जबकि साल 2019-20 के दौरान उपज का आंकड़ा 1 करोड़ 40 लाख 6 हजार टन ही रहा था यानि नारियल की पैदावार में इस साल 4 लाख टन की बढोत्तरी हो सकती है।

केंद्र सरकार द्वारा साल 2022 के लिए तय की गई नारियल की एमएसपी
बता दें कि केंद्र सरकार ने नारियल सीजन 2022 के लिए खोपरा के एमएसपी में बढ़ोत्तरी की है उचित औसत गुणवत्ता के मिलिंग खोपरा के लिए एमएसपी को साल 2021 के 10,335 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर सीजन 2022 के लिए 10,590 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है जबकि बॉल खोपरा के लिए एमएसपी को साल 2021 के 10,600 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर सीजन 2022 के लिए 11,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।