देश में गुड़ को 3000 सालों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में मीठे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। गुड़ के खनिज तत्व में कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, लौह, जिंक और कुछ मात्रा तांबे की भी होती है। इसलिए गुड़ को ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत माना जाता है।
खेतों में कई महीने तक फसल लगने के बाद किसान गन्ना काटते हैं, उसकी कोल्हू में पेराई करते हैं और फिर गन्ने के रस को उबालने के बाद गुड़ तैयार होता है। चीनी मिलें तो गन्ने से शक्कर बनाती हैं लेकिन देश में बड़े पैमाने पर गन्ने से गुड़ भी बनाया जाता है जो आज भी पारंपरिक तरीकों से ही बनता है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुड़ का सबसे ज्यादा गुड़ का उत्पादन होता है. मेरठ, बिजनौर और मुज्फ्फरपुर में सबसे ज्यादा कोल्हू है जिन्हें क्रेशर कहा जाता हैं एक अनुमान के मुताबिक पश्चिमी यूपी में करीब 3500 क्रेशर हैं।
भारत ने कितना किया गुड़ का निर्यात
वहीं गुड़ के निर्यात पर नजर डालें तो प्रमुख उत्पादक के तौर पर भारत को विश्व में गुड़ का एक मुख्य व्यापारी और निर्यातक माना जाता है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण एपीडा की ओर से जारी ताजा आंकड़ो के अनुसार साल 2020-21 के दौरान भारत ने विश्व से 2 हजार 659 करोड़ रुपए यानि 358 मिलियन अमरीकी डॉलर की कीमत के 6 लाख 31 हजार 895 मीट्रिक टन से अधिक गुड़ और कन्फेक्शनरी उत्पाद का निर्यात किया है।

किन किन देशों से आई भारतीय गुड़ की मांग
भारत ने साल 2020-21 के दौरान गुड़ और कन्फेक्शनरी उत्पाद का निर्यात मुख्य रुप से श्रीलंका, डीएसआर, सूडान, नेपाल, नाइजीरिया और संयुक्त अमेरिका को किया है।
साल 2021-22 के दौरान गन्ने का उत्पादन
आपको बता दें कि, घरेलू स्तर पर इस साल गन्ने की रिकॉर्ड पैदावार होने का अनुमान है… कृषि मंत्रालय की ओर से जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार साल 2021-22 के दौरान देश में गन्ने की पैदावार 419.25 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है।